महात्मा विदुर को महाभारत के प्रमुख लक्षणों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण भी विदुर जी की समझदारी के कायल थे। यही कारण है कि वह उन्हें अपनी बातें साझा करते थे और सलाह लेते थे। कहते हैं कि महात्मा विदुर ने हस्तिनापुर के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए थे। विदुर जी ने भी आचार्य चाणक्य की तरह नीतियों के माध्यम से जीवन जीने के तरीके और जीवन के सार को विस्तार दिया था। विदुर जी ने एक नीति में ऐसे लोगों का जिक्र किया है, जिनके धन सौंपने पर सर्वनाश हो सकता है। जानिए ऐसे 4 लोगों के बारे में-
येषर्था: स्त्रीश्रु तथातुक्ष: प्रमत्तपतितेषु च।
ये चारण्ये समसक्त: डेवलपर ते संशयं गता: सम
1. विदुर जी कहते हैं कि आलसी के हाथ में कभी भी धन नहीं देना चाहिए। क्योंकिसीसी किसी भी काम को टाल-मटोल करते हैं। कई बार वह अपने काम को किसी और से कराने की कोशिश करते हैं। अगर वह काम को नहीं और करता है तो संभावना बढ़ जाती है कि वह लागत से ज्यादा पैसा खर्च करेगा। जिससे धन की हानि संभव है।
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2. विदुर जी कहते हैं कि बदमाश किस्म के लोगों को कभी भी धन नहीं सौंपना चाहिए। महात्मा विदुर कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपना धन नहीं सौंपना चाहिए, जिसके नीयत पर आपको थोड़ा-सा भी संदेह हो। ऐसे में धन ऐसे व्यक्ति को दें जिस पर आपको भरोसा हो।
3. महात्मा विदुर कहते हैं कि धन कभी भी दानव प्रवृत्ति के व्यक्तियों को न दें। वरना जब आप भी आप धन वापस मांगेंगे तो आपको कभी वापस नहीं मिलेगा।
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4. महात्मा विदुर कहते हैं कि स्त्रियों का मन चंचल होता है। ऐसे में कई बार अति उत्साह में यह सोच नहीं पाती हैं कि धन कहां खर्च करना चाहिए और कहां नहीं। ऐसे में फिजूल धन खर्च होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। महात्मा विदुर कहते हैं कि बेहतर होगा कि धन देते समय उन्हें यह समझाने की कोशिश करें कि इसका प्रयोग सही जगह पर करें।